अनुभवी लोगों के संवाद के बाद में ये पहला दिन था।
यादें, सपने, आसपास, माहौल, फैसले, कारण, कामयाबी, सफ़र, शादी, परिवार, स्कूल, बचपन, जवानी, काम, पैसा, किराया, फिल्म, नाटक, टीवी, पर्दा, दिनचर्या, दिलचस्पी, हिदायतें, रविये, कल्पनाएं, लड़ाईयां, झगड़े, घटनायें, किताबें, डर, चेतावनियां, चोरियां, छतें, रातें, सरकारी लाइनें, काल्पनिक दीवारें, अपने मन मुताबिक बर्तन, अपनी पसंद के जूते और बेकर चीज़ों से औजार बनाना जो शायद उनके खेलने के काम में आये लेकिन लोगों से बातचीत करने के बाद में सभी एक बार फिर से किताब के अनेकों किरदारों के बारे में बोल रही थी।
वे किरदार जो कभी वे खुद ही थी। जीवन के अनेकों पल जो कहीं छिटक गये थे उन्हे पकड़कर लाना इतना आसान नहीं होता लेकिन याद रखने से ज्यादा मिठा सफ़र याद करने का होता है। जो यहां पर था।
दक्षिणपुरी की सारी दादियां जो अपने अनुभवों के किस्सों को इस तरह से सुनाती आई हैं कि वे उनके बारे में नहीं है वे तो वो किरदार हैं जो कहीं थे ही नहीं। फिल्म देखना, छुपना, निजी फैसले लेना सब किसी और पर डालकर सुनाना जीवन के याद करने के सफ़र को और मिठा बना देता है।
आज उसी सफ़र पर उतरने का दिन था।
यादें, सपने, आसपास, माहौल, फैसले, कारण, कामयाबी, सफ़र, शादी, परिवार, स्कूल, बचपन, जवानी, काम, पैसा, किराया, फिल्म, नाटक, टीवी, पर्दा, दिनचर्या, दिलचस्पी, हिदायतें, रविये, कल्पनाएं, लड़ाईयां, झगड़े, घटनायें, किताबें, डर, चेतावनियां, चोरियां, छतें, रातें, सरकारी लाइनें, काल्पनिक दीवारें, अपने मन मुताबिक बर्तन, अपनी पसंद के जूते और बेकर चीज़ों से औजार बनाना जो शायद उनके खेलने के काम में आये लेकिन लोगों से बातचीत करने के बाद में सभी एक बार फिर से किताब के अनेकों किरदारों के बारे में बोल रही थी।
वे किरदार जो कभी वे खुद ही थी। जीवन के अनेकों पल जो कहीं छिटक गये थे उन्हे पकड़कर लाना इतना आसान नहीं होता लेकिन याद रखने से ज्यादा मिठा सफ़र याद करने का होता है। जो यहां पर था।
दक्षिणपुरी की सारी दादियां जो अपने अनुभवों के किस्सों को इस तरह से सुनाती आई हैं कि वे उनके बारे में नहीं है वे तो वो किरदार हैं जो कहीं थे ही नहीं। फिल्म देखना, छुपना, निजी फैसले लेना सब किसी और पर डालकर सुनाना जीवन के याद करने के सफ़र को और मिठा बना देता है।
आज उसी सफ़र पर उतरने का दिन था।
पिंकी
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