Wednesday, 8 July 2015

कहानियों से भरी जगह

स्कूल की घंटी बजते ही क्लासों मे हो- हो कर शोर मच जाता और लड़कियां एक के ऊपर एक गिरते पड़ते दरवाजों से घक्के मारते हुए “बालकनी” से धब धब जूतों की आवाज करते हुए ज़ीने से उतर कर पीछे के गेट की तरफ भागती हैं। सब के बीच मे एक होड सी लगी रहती है की कौन सब से आगे जाकर उस मंजिल को छू लेगा।

मैं भी उनका पीछा करती हुई वहाँ पहुच गई। मैंने देखा कि पीछे के गेट के उस तरफ एक महिला जिनकी उम्र 40 से 45 साल की है। तन पर सीधे पल्ले की साडी, सिर ढका हुआ। वह बार - बार सिर के पल्लू को सभालते हुए। सभी की आवाज को सुन, वह चीज उठा कर उस लड़की के हाथ मे पकडा देती जिसने उन्हे पैसे दिये है। वह सभी कि आवाजों को सुन तो रही है पर जो हाथ उनके हाथ मे पैसे थमा देता वह उसी की आवाज को घ्यान से सुनती। यदि समझ नही आती तो वह तेजी से पूछती कि “ये पैसे किसके है? क्या चाहिये?” तभी भीड मे से एक कोई न कोई तेज आवाज आ ही जाती “मेरे है।“ फिर चाहे उन चीज वाली आंटी को किसी का चेहरा दिखे या न दिखे वे आवाज़ को सुनकर उसे चीज जरूर पकड़ा देती। और फिर वह औरो की डिमांड पुरी करने मे लग जाती।

आज भी सभी लडकियां एक दूसरे को घक्का देते अपनी पसन्द की चीज खरीद ने की जुगाड मे लगी हुई है। कुछ लडकियां उस भीड से कुछ दूर खडी अपनी बातों में लगी हुई हैं। तो कुछ को लगता है कि हमारा नम्बर तो आएगा ही नही, चल कहीं और चलते हैं। इस जगह से कुछ ही दूर एक सीढी नूमा चबूतरा बना हुआ हैं। कुछ लडकियां उस चबूतरें पर जाकर बैठ गई हैं और उन्होने अपनी बातों की पोठली खोल ली हैं। जिन्हे अपनी आधी छुट्टी का ये आज़ाद वक्त कैसे बिताना है, वे सभी भली भांति जाती हैं। स्कूल की कुछ ही ऐसी जगहे हैं जहां पर आधी छुट्टी का ये वक्त बिताया जाता हैं। क्लास की परेशान कर देने वाली गर्मी और हर वक्त काम मांगने वाली आवाज़ों से दूर जाकर। ये जगहे जो इस स्कूल की बड़ी क्लास की बड़ी सहेलियों ने चुनी होगी, लेकिन जैसे अब तो हर कोई इसे अपनी समझ कर यहाँ पर कुछ समय के लिए छुप जाता हैं।

आधे घंटे का ये समय अलग अलग क्लास में पढ़ने वाली सहेलियों को एक कर देता हैं। जहां गेट पर पेट भरने के लिए समोसे, चिप्स व मट्ठी खरीदी जा रही है और वहाँ पर अब बाते शुरू है।




“सुमन मैनें सुना हैं कि तेरी गली में एक पवन नाम कें लडकें नें किसी को चाकू मार दिया? भगवान, मैं तों उधर होती तो कब की बेहोश होकर जमीन पर पडी होती।“
सुमन ने बात को बढ़ाते हुये कहा, “हाँ, लोगो को इतनी हिम्मत कहाँ से आती है? जरा सोच जिस को चाकू लगा है। इस वक्त उसका क्या हाल हो रहा होगा।
साथ में बैठी कोमल बोली, “ये सुन, मेरा भाई बता रहा था कि जिसने चाकू मारा है उसे तो पुलिस ने कब का छोड दिया क्योकि वो तो गंजेडी है। सारा दिन गंजा पीते रहता है। अगर दो मिनट बाद उन्हें ये ना मिले तो वो पागल हो जाते हैं। इसीलिए उन्होने उसे छोड दिया।“

रजनी बोली, “क्या तुम लोग भी मार धाड़ की बाते करती रहती हो?”
सुमन बोली, “हमे कोई शॉक नहीं है इस तरह की बाते करने का, लेकिन जो चीज चोंकाती है वो तो सबके दिमाग में रह ही जाती है न।“

रजनी ने कहा, “इससें बढिया बात मैं बताऊ?

सभी एक साथ बोली, “हाँ बोल।“

रजनी ने कहा, “कल हम सब घर में वॉइस आफ इंडिया के औडिसन देख रहे थे। उसमे एक शादीशुदा औरत आई थी। उसने बहुत अच्छा गया था पर वो सिलैक्ट नहीं हुई। जब वो रो रही थी तो मेरी मम्मी भी रोने लगी। हमे तो पता ही नहीं था की मम्मी रो रही है। जब मेरी नजर उनपर गई तो देखा की वो तो रो रही हैं। मैंने चोंकते हुये बोला – मम्मी क्या हुआ आप क्यो रो रही हो? तो वो कुछ नहीं बोली। इतने मैं मेरे पापा आए और बोले – ये अपने आप को बहुत बड़ा सिंगर समझती थी। और सोचती थी की मैं फिल्मों में गा सकती हूँ। मैंने शादी के बाद इसे करने ही नहीं दिया। इतना कहकर वो चले गए। इस बात पर मम्मी बहुत रोई और रोती ही गई। मुझे मेरी मम्मी को देखकर बड़ा अफसोस हो रहा था। फिर मम्मी से बात नहीं हुई वो चुप हो गई और काम में लग गई।“

इतना कहकर रजनी चुप हो गई। सुमन ने उसकी ओर देखते हुये कहा, “पागल हम क्या बात कर सकते है? हम तो छोटे है न अभी।“
कोमल ने कहा, “रजनी एक बात कहूँ – तेरे पापा क्या बहुत गुस्से वाले हैं?
रजनी ने कहा, “हाँ।”
कोमल ने कहा, “चलो तो कोई नहीं मगर उन्हे ऐसे नहीं बोलना चाहिए था। इससे दिल टूट जाता है।
रजनी ने कहा, “मुझे तो लगता है की मम्मी अगर शादी नहीं करती तो वो अपना सपना पूरा कर सकती थी।“
सुमन ने कहा, “ये सुनकर तो मुझे लगता है की हम जो बनना चाहते है वो हमे शादी से पहले ही बनना चाहिए – है न!”

इस बात पर वो सभी बोली, “हाँ, सही कह रही है।“

उनके बीच का माहौल एक दम गंभीर सा महसूस हो रहा था। वो तीनों शांत सी हो गई थी। जिन्होने अपने खाने का समान ले लिया था वो भी उनके साथ में बैठ गई थी। सभी उनकी बातों को सुन रही थी। मैं भी उनके ही बीच में थी। पर कुछ बोल नहीं पा रही थी।

इतने में रजनी बोली, “पापा कहते है की 12 पास करने के बाद में पढ़ने की जरूरत नहीं है। लेकिन मैं चाहती हूँ की मैं टीचर बनू, पर सोचती हूँ की कैसे होगा ये?”

कोमल ने कहा, “तेरे बड़े पापा तो तेरी बात मानते हैं न! उनसे बोलियो वो तेरे पापा को समझा देगे।“

रजनी इस बात पर थोड़ी सी खुशी जाहीर करते हुये बोली, “मेरे पापा, बड़े पापा की बात हमेशा मानते है। मैं तो ऐसा ही करूंगी।“

सुमन ने कहा, “पागल काश के तेरी मम्मी भी तेरे बड़े पापा से बोल देती की उन्हे क्या बनना है। तो वो भी बन जाती।“

रजनी ने कहा, “अरे पागल वो बड़े पापा से घूँघट करती है और बोलती भी नहीं है उनके आगे।“
सुमन ने कहा, “ये अजीब बात है, जो हमारी बात मानता है उससे घूँघट करलो और जो नहीं मानता उससे नहीं। बेकार ये सब।“

तीनों की तीनों इस बात पर हंसने लगी। कोमल ने कहा, “यार मुझे तो बहुत तेज भूख लग रही हैं।“

ये सुनकर हम सब भी तेज ठहका मार कर हॅसने लगे। हम सभी कोमल कि बहन रीतु की क्लास में गए। और उसकें हाथ से टिफिन लेकर कहा, “रितू तू मठठी की लाईन मे खडी हो जा। हम पुडी की लाईन में खडे हो जाते हैं। किसी का तो नम्बर आएगा। हम सभी लाइन में लग गए कुछ देर वहाँ खडे रहने पर भी हमें कुछ नही मिला मगर हाँ इतनी तसली है कि शायद रितु को तो मठठी मिल गई होगी। हम बहुत देर सें देख रहे कि लाईन आगे ही नही बढ ही नही रही।

आज तों भूख के मारे जान निकली जा रही है भूख सें सुमन को बहुत गुस्सा आ गया और वो हमे लाईन सें बाहर लें गई और बोली, “रितू नें अब तक तो मठठी ले ली होगी चल चलकर मठठी खाते है।“

हम सभी तेज कदमों सें ग्राउंड मे पहुचें। ये वो जगह है जहां पर आधी छुट्टी के बाद भी किसी की निगाह नहीं जाती। आधी अधूरी बातें, परेशानियाँ और दोसतियाँ इसी जगह पर आकार बांटी जाती है। मैं हर रोज इन जगहों का हिस्सा बनती हूँ पर कभी ऐसा नहीं देखा की जैसे ये स्कूल छोटे बच्चो के लिए बनाया गया है। ये स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियां यहाँ पर आकार खाली अपनी भूख नहीं मिटाती बल्कि अपनी परेशानियाँ भी बांटती हैं।
“अब क्या करे?, हम बातचीत मे इतने मगन हो गए कि आधी छुटटी का घंटा कब में बज गया ये हम सच में नहीं जानते थे। कहानियों को उसी सीडियों और ग्राउंड में छोड़ कर हम फिर से अपनी अपनी क्लास मे आ गए।



प्रीति 

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