रात
के बारह-साढ़े बारह का समय था। आसपास के सभी लोग सो चुके थे। हमारा परिवार भी सो
चुका था पर मम्मी-पापा चाची की बीमारी की बातें कर रहे थे। आज उनकी तबीयत बहुत
खराब थी और घर में चाचा जी भी नहीं थे। मम्मी उन्हें उनके कमरे में सुलाकर आई थी।
उनके दोनों बच्चे छत पर बड़ी ताई जी के साथ सो रहे थे तभी ताई ने दीपू,
उनकी बड़ी बेटी को जगाया और नीचे पानी लेने भेज दिया। दीपू
जैसे ही कमरे में घुसी तो देखा मम्मी लंबी-लंबी सांसें ले रही थी। वो भागकर मम्मी
के पास पहुँची और उनका हाथ पकड़ते हुए बोली, क्या हुआ मम्मी। उसकी मम्मी थी कि लगातार हाँफे जा रही थी।
दीपू ने फिर से उनका हाथ पकड़कर हिलाया तो उन्होंने उसका हाथ पकड़कर पंखे की तरफ़
इशारा किया। दीपू मम्मी का हाथ छोड़कर पंखे का बटन दबाने भागी। जब वह मम्मी के पास
जाकर खड़ी हुई तो देखा कि उनका चेहरा पसीने से तर था और सांसे तेज़ रफ़्तार में चल ही थी। दीपू को कुछ समझ नहीं आ
रहा था। वह घबराकर रसोई से ठंडे पानी की बोतल लाकर मम्मी को पानी पिलाने लगी पर
उन्होंने पानी पीने से मना कर दिया। दीपू की घबराहट बढ़ती ही जा रही थी। मम्मी की
सांसों की रफ़्तार कम होने लगी। दीपू ने मम्मी को छूकर देखा तो उनके हाथ-पैर ठंडे
पड़े थे। दीपू ने मम्मी के हाथ-पैर मसलने शुरू कर दिए। वो इतनी घबरा गई थी कि बड़ी ताई
को कमरे से ही ज़ोर-ज़ोर से आवाज़ें लगानी शुरू कर दी थी। मम्मी ने उसका हाथ कसकर
पकड़ रखा था। दीपू की आवाज़ किसी ने नहीं सुनी।
काफ़ी
देर बाद दीपू ने मम्मी के हाथ से अपना हाथ छुड़ाया और ज़ीने से ऊपर भागी और जाकर ताई
का दरवाज़ा खटखटाते हुए आवाज़ लगाने लगी, ताई... ओ ताई। ताऊ और ताई दोनों गहरी नींद में थे। दीपू की
आवाज़ सुनकर नीचे से मौसी आईं और उन्होंने आवाज़ लगाकर पूछा क्या हुआ दीपू?
दीपू रोती हुई ज़ीने से नीचे की तरफ़ भागती हुई आई और बोली,
मौसी मम्मी...। मौसी ने नीचे से ही पूछा क्या हुआ मम्मी को।
ये कहते हुए वो ज़ीने से ऊपर की तरफ़ भागी और दीपू की मम्मी के पास जाकर खड़ी हो गईं।
दीपू भी मौसी का हाथ पकड़कर बोली, मम्मी को पता नहीं क्या हुआ है। मौसी ने देखा तो उसकी मम्मी
अभी भी लंबी-लंबी सांसें ले रही थी पर हाथ-पैर ठंडे पड़े थे। आँखें भी ठंडी हो गई
थी। मौसी ने ताऊ-ताई को आवाज़ लगाते हुए कहा, जीजी नीचे आओ मंझली जीजी को पता नहीं क्या हुआ। हाथ-पैर
ठंडे पड़े हैं, लंबी-लंबी
सांसे ले रही
है। मम्मी की आवाज़ सुनकर ताऊ-ताई और उनके सभी बच्चे कमरे में आकर खड़े हुए। ताऊ ने
मंझली ताई की हालत देखी तो कहने लगे इन्हें अस्पताल ले चलते हैं। इनकी तबीयत बहुत
खराब लग रही है।
अभी
ये बात चल ही रही थी कि दीपू तेज-तेज रोने लगी। मौसी ने दीपू को अपने सीचने से
लगाकर कहा, कुछ नहीं
हुआ है अभी ठीक हो जाएगी। इस बीच बड़े ताऊ ने चाचा को फ़ोन करके बताया कि उनकी पत्नी
की तबीयत खराब हो गई। चाचा ने कहा मैं तो सुबह ही पहुँच जाऊँगा तब तक आप उन्हें
अस्पताल दिखा लो। चाची ने बड़ी ताई जी को कहा, जीजी आप इनके साथ चले जाओ, मैं इन्हें संभाल लूँगी।
ताऊ
ज़ीने से उतर कर ऑटो लेने चले गए। घर में सब बच्चे उन्हें देख-देखकर रो रहे थे।
मौसी थी कि सबको चुप करा रही थी। ताई मंझली ताई के कपड़े ठीक कर रही थ। धीरे-धीरे
मंझली ताई की सांसें लगी। ताई के चेहरे पर घबराहट दिखाई देने लगी। ताई और चाची आपस
में धीरे-धीरे बातें कर रही थी अचानक मंझली ताई ने तेज़ की हिचकी ली और आँखें खोली,
उनके सांसें रूक गई। बड़ी ताई मंझली ताई के हाथ-पैर तेज़ी से
मलने लगी पर हाथ-पैर तो ठंडे हो चुके थे। सांसें भी रूक चुकी थी। ये देखकर मौसी और
बड़ी ताई की आँखों से आँसू बहने लगे पर वे बच्चों से यही कह रही थी कि मंझली ताई
ठीक है। मौसी और बड़ी ताई ने बच्चों को नीचे के कमरे में भेज दिया। सब बच्चे चुपचाप
नीचे चले गए। रात के करीब तीन बज चुके थे। ताऊ जी को भी कोई ऑटो नहीं
मिला था। वो भी थकहार कर वापस घर आ गए थे। वो जैसे ही ज़ीने से ऊपर चढ़े बड़ी मौसी जी
और ताई ने उन्हें बताया कि मंझली ताई खत्म हो चुकी हैं। ये सुनकर ताऊ जी घबरा गए।
उन्होंने ताई और मौसी से कहा जब तक प्रेमपाल गाँव से दिल्ली न पहुँच जाए तब तक
किसी को भी मत बताना। जब प्रेमपाल आयेगा तभी हम सबको बतायेंगे। ये कहते हुए वो
कमरे में चले गए।
मंझली
ताई को पलंग से उठाकर जमीन पर लिटा दिया। हल्दी से उनके चारों तरफ़ लाइन खींच दी।
बच्चों को भी ये कहकर सुला दिया कि मम्मी को अस्पताल लेकर गए है,
ठीक होकर आ जाएगी।
दीपिका
दीपिका
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