वे सभी स्कूल में डांस की प्रैक्टिस कर रहे थे क्योंकि स्कूल में
रेड एक्स डे की़ तैयारी बड़े जोर-शोर से चल रही थी। एक दिन बाद स्कूल में प्रोग्राम
था। वे हमेशा कारिडोर में नाचते थे।
मगर उन्होंने मैम से बात की,
तो मैम ने कहा कि स्र्पोट रूम के बराबर
में जो छठी क्लास बैठती है।
उन्हें हॉल में शिफ्ट कर दो। सब काफी खुश होकर भागे
और थोड़ी अकड़ से बोले, ‘सुनो, सब अपना बैग लेकर हॉल में चले जाओ!
सभी तेजी से भागकर चले गए। संजना ने क्लास
के सारे बेंच साइड में कर दिए और झाड़ू मार कर बोली,
“लो हो गया!’” जो
कमरा उन्हें मिला था।
वह संजना की गली के एकदम सामने वाला था।
जो कोई भी खिड़की से झांकता तो वह गली एकदम साफ दिखाई देती। संजना अभी सहेलियों का
इंतज़ार ही कर रही थी कि उसकी नज़र खिड़की से बाहर पड़ी। उसने देखा कि उसका भाई जो
काम पर गया था, वापस
आ गया है। पर वह क्यों आ गया! उसने अपने आपसे पूछा। अभी बुदबुदा ही रही थी कि बड़ा
वाला भाई और चाचा भी दादी को लेकर आ गए थे।
वह परेशान हो रही थी कि कब छुट्टी होगी। गली में भीड़ बढ़ती ही
जा रही थी। देखते ही देखते उसके घर के सामने सफेद टेंट लग गया था। यह सब देख उसके
अंदर की बेचैनी बढ़ गई थी। वह अपनी बहन अलिशा,
ईशिका,
भावना के पास गई और उन्हें खिड़की के पास
लाकर दिखाया। वे सभी एक गहरी सोच में डूब गए। कोई किसी से कुछ नहीं कह पाया, कुछ
पल की खामोशी के बाद भावना बोली, “मैडम से पूछ कर घर चलते हैं!”
अलीशा ने कहा, “नहीं, मैम जाने नहीं देंगी!”
तभी मैडम आईं और उन चारों को डाँट कर बोली, “तुम
लोग यहाँ क्या कर रही हो”
सभी वहाँ से चुपचाप निकलकर अपनी-अपनी क्लास में चले गए।
उसने क्लास में जाकर सिर झुकाकर आँखें बंद कर ली। सभी बार-बार
पूछ रहे थे कि संजना क्या हुआ।
मगर उसके पास कोई जवाब नहीं था। वह चुपचाप
रही। कब छुट्टी का घंटा बजा, पता ही नहीं चला।
वह तब भी यूं ही बैठी रही। तभी उसकी सहेली ने झिंझोड़ते हुए कहा, “घर
नहीं जाना! छुट्टी हो गई है!” वह उठी और कंधे पर बैग टांग कर धीमे कदमों से चलने लगी। वह अपने
आपको कमज़ोर महसूस कर रही थी। सड़क पार करते ही देखा रोज की तरह मंदिर पर जो
चहल-पहल रहती थी, आज वह बात नहीं थी। रोज़ गाने बजते रहते
थे, आज
वह भी खामोशी में डूबा था। गली में एक खामोशी पसरी हुई थी।
अमीषा
No comments:
Post a Comment