काश की मैं खुले आसमान में उड़ पाती पर सोचती कि ऐसा नहीं हो सकता। तभी ख्यालों से होते हुए
मेरा मन एक पक्षी से मेरी तूलना करने लग जाता और भरी कल्पनाओं में डूब जाता। मैं अपने बारे
में सोचती रहती कि मैं क्यों नहीं उड़ सकती। 
और मैं फिर से उसी सपने में खो जाती।       
चेतना
 
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