Friday, 13 March 2015

सर्दी की रात और माँ का झाड़ू

वो ठिठुरता हुआ गली में घुस ही रहा था कि तभी पीछे से गौरव बोला, ‘आकाश कहां जा रहा है?’

‘घर जा रहा हूं, नही तो मम्मी बाद में घर में नहीं घुसने देगी! एक बार उन्हें शक्ल दिखाकर आ रहा हूं। मम्मी गली में ही गाली देने लगती है।’ कहकर आकाश गली में घुस गया।

उसकी बात सुनकर गौरव हंसता हुआ पार्क की तरफ़ चला गया। गौरव पार्क में गया तो देखा वहां उसके दोस्त आग जलाने की तैयारी कर रहे थे। उन्हें देख गौरव जोर से बोला, ‘बहुत अच्छे!’ और दौड़ता हुआ उनके पास जाकर बैठ गया।

हाथ सेकता हुआ वो अपने दोस्त से बोला, ‘दिल खुश कर दिया!’ और जमीन पर टिक कर बैठ गया।

नूना बोला, ‘गौरव, आकाश नहीं आया?’

गौरव हैरान होता हुआ बोला, ‘आकाश! वो तो आज लम्बा ही निकल गया। बेचारा बहुत अच्छा था!’

ये सुनकर सभी हंस पड़े। तभी आकाश भी आ गया। उसे देखकर सभी अपनी हंसी रोक न पाए और ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगे। सभी को हंसता देख आकाश बोला, ‘क्या हो गया?’

नूना बोला, ‘क्या हो गया, जो होगा तेरी ही गोद में खेलेगा। वो तो डाक्टर बताएगा कि क्या हुआ है?’

ये सुनकर आकाश भी हंस पड़ा। अब पूरा माहौल खुशनुमा हो गया था। आकाश भी सभी के साथ बैठकर हाथ सेकने लगा। इतने में कुलदीप भी आ गया और आग के एकदम आगे बैठ गया। सागर ने उसकी गुद्दी पर हाथ मारते हुए कहा, ‘जलेगा क्या! पीछे हो जा! भुन जायेगा!’

कुलदीप बुरा सा मुंह बनाकर बोला, ‘क्या है? पीछे ही तो बैठा हूं!’

ये सुन सागर बैठ गया और आकाश से बोला, ‘आजकल तू तो फूल नोट कमा रहा है। हमें भी बता दे, हम भी कुछ हरी पत्ती कमा ले!’

आकाश थोड़ा पीछे होता हुआ बोला, ‘अरे तू कल बोलता मैंने एक लड़के को लगा दिया!’

‘किसे लगा दिया?’

‘अरे ऐसे ही एक लड़का है बहुत दिनों से पीछे पड़ा था। मैंने सोचा इसे भी लगा देता हूं। कोई बात नहीं कभी-कभी पुण्य का काम भी कर लेना चाहिए। वैसे भी दिन में हम यहां सबसे छत्तीस गालियां सुन लेते हैं कम से कम वो तो दुआ देगा।’

कुलदीप हंसता हुआ बोला, ‘ठीक कह रहा है!’

मम्मी-पापा कहते है कि कोई काम-धंधा ढूंढ ले हम पूरी जि़ंदगी बैठाकर नहीं खिलायेंगे। सागर बीच-बीच में बोला, ‘हां सही कह रहा है। और तो और ये सुनकर खाना खाने का मन नहीं करता।’

‘भई तुम्हारे घर में तो तुम्हें कुछ नहीं कहते, मुझे तो सुनने को मिलती है। मेरी मम्मी तो बहुत गंदी-गंदी गालियां देती है। रात को मुझे झाड़ू से मारती है। कभी-कभी तो जी करता है कि छत से कूद कर मर जाऊं।’ नूना बोला

नूना की बातों को सुनकर सभी हंस पड़े। सभी क्या वो खुद भी हंस पड़ा। आकाश सभी की बातों को सुनकर बोला, ‘इलेक्शन आ रहे है। झंडे लेकर घूमेंगे। कुछ पत्ते इसमें कमा लेंगे। कम से कम घर में तो कोई निठल्ला नहीं कहेगा!’

तभी कुलदीप उछलता हुआ बोला, ‘हमें भी एक झंडा दे देना। हम भी थोड़ा पसीना बहाकर कुछ कमा लेंगे।’

कुलदीप टाइम क्या हो रहा है? गौरव ने पूछा

कुलदीप बोला, ‘भाई टाइम तो आजकल बहुत खराब चल रहा है?’

गौरव थोड़ा मुस्कुराता हुआ बोला, ‘अबे बता दे न, मजे मत ले।’

नूना बोला, ‘अच्छा कब चले बात करने?’

बात करने, किससे? सागर ने पूछा

रैलियां निकालने के लिए। भूल गया अभी तो बात शुरू हुई है और अभी भूल गया। इसलिए कहता हूं कि उतनी पीया करो जितनी छोड़ सको! नूना बोला

फालतू बकवास मत कर, जितना पूछा जाए उतना बताया कर!

दोनों की बातों को सुनकर कुलदीप बोला, ‘क्या औरतों की तरह बहस करने लग जाता है!’

पूरे पार्क में सिर्फ़ इन्हीं लोगों की आवाज़ गूंज रही थी। घना अंधेरा छाया हुआ था। बस एक कोने में रोशनी पसरी हुई थी जहा वे सब लोग आग जलाकर बैठे थे। पार्क का गेट टूटा हुआ था। वहां से कुलदीप निकला और सीधा अपने घर पहुंचा। खाना खाकर सो गया। सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर, फुल बाल खड़े करके गौरव के घर पहुंच गया। और बाहर खड़े होकर बोला, ‘गौरव चल, मेकअप हो गया हो तो!’

कुलदीप, सागर और नूना तैयार हो गए क्या? गौरव बोला

अभी तो तू खुद तैयार नहीं हुआ और बाकी सबकी बात कर रहा है!’ कहता हुआ कुलदीप उसकी चैखट के पास जाकर खड़ा हो गया। घर का पर्दा हटाते हुए बोला, ‘अबे भाई तू कर क्या रहा है?’ जैसे ही उसने पर्दा हटाया तो देखा बाहर बरामदे में गौरव और आकाश दोनों थे। दोनों शीशे में देखकर तैयार हो रहे थे। गौरव बालो में जेल लगा रहा था और आकाश चेहरे पर क्रीम। उन्हें देखकर कुलदीप बोला,

‘ओ तेरी, ये देखकर लगता है तुम रैली में नहीं बल्कि ससुराल जाने की तैयारी हो रही है।’

‘तू भी कुछ ज़्यादा ही मजाक करता है!’ गौरव बोला

तभी नूना और सागर भी वहां आ गए।

नूना बोला, ‘भाई आज तो मैं कुछ भी करके अपनी मम्मी के हाथ में कुछ पैसे रखना चाहता हूं। काफी दिन हो गए सुनते-सुनते अब तो मुझे भी शर्म आने लगी है। कभी दिमाग़ खराब हो गया न मैं सच में ही छत से कूद कर मर जाऊंगा।’

उसकी बात सुनकर सागर बोला, ‘तू ऐसी बात मत किया कर। तेरे मुंह से ऐसी बातें अच्छी नहीं लगती। तू हंसता-मुस्कुराता हुआ ही अच्छा लगता है!’

बस कर मस्का मत लगा! नूना बोला

चलो यार मैं तो आधा हो गया, रैली में जाने के लिए तुम्हारा तो मेकअप ही खत्म नहीं होता! कुलदीप बोला

सब एक-एक करके घर से बाहर निकलने लगे।

सब लोग दूसरे ब्लाॅक में जा पहुंचे। वहां से जो उम्मीदवार खड़ा था उससे बात करके दोपहर में रैलियों में पहुंच गए। वहां सभी झंडा लेकर नारे लगाने लगे।

जीतेगा भई, जीतेगा, झाड़ू वाला जीतेगा! चलेगी झाड़ू उड़ेगी धूल! न रहेगा पंजा न रहेगा फूल! आकाश बोला

आकाश के पीछे बाकी सब भी दोहराने लगे। सागर और कुलदीप दोनों के हाथों में झाड़ू थी। वे दोनों झाड़ू को सीधा पकड़कर एक-दूसरे को मार-मार कर हंस रहे थे। नूना तो दोनों हाथों को जोड़कर सभी ये कह रहा था ‘अबकी बार, झाड़ू को ही वोट देना।’

अबकी बार, 5 साल केजरीवाल!

गौरव और आकाश पर्चे बांटते हुए घूम रहे थे। नारे लगा-लगा कर वो पूरे थक चुके थे। उनका पूरा शरीर पसीने में भीगा हुआ था। वो एक-दूसरे से पूछ रहे थे कि अब और कितनी देर यहां रहना है। पर किसी को नहीं पता था। घूमते-घूमते उन्हें 4 बज गए थे। सागर गुस्से में बोला, ‘मैं तो अच्छा फंस गया, दो सौ रुपये के लिए पूरी दोपहरी खराब हो गई। इस कुलदीप के चक्कर में आ गया था, नही ंतो मम्मी बोलती शर्म नहीं आई तेरा छोटा भाई तक मुझे पैसे दे देता है पर तू! तेरा खुद का ही पेट नहीं भरता! मैं गालियां, मार सब बर्दाशत कर सकता हूं पर मेरे सामने किसी की तारीफ़ बर्दाशत नहीं कर सकता।’

ये सुनकर कुलदीप साइड हो गया। सब के सब फिर से अपने-अपने कामों में लग गए। थोड़ी देर बाद सब घर की ओर निकलने लगे। ये लोग भी अपने-अपने घर पहुंचे और नहा-धोकर कुछ देर आराम करके शाम को उस उम्मीदवार के घर पैसे लेने पहुंचे। पैसे लेकर फिर से पार्क में घुसे और अपना-अपना हिस्सा लेकर घर चले गए।

सागर उन दो सौ रुपए को लेकर अपने घर जाकर अपनी मम्मी के हाथ में थमाते हुए बोला, ‘पता है इन दो सौ रूपए के लिए आज कितना पसीना बहाया है!’

उसकी मम्मी बोली, ‘अच्छी बात है आगे ये याद तो रहेगा कि 1 रुपया भी बड़ी मेहनत से कमाया जाता है, जिसे तू ख़र्च कर आता है। मुझे पता है मैं किस तरह अपना परिवार देखकर चलती हूं।’

सागर उनकी बातों को सुनकर बोला, ‘बस कर, रूलाएगी क्या?’

ये सुनकर उसकी मां हंस पड़ी। कुर्सी पर बैठा कुलदीप उछलकर बोला, ‘ऐसी छोटी बात मत किया करो, एक साल बाद मैं राजा बन जाऊंगा फिर तो किसी को काम करने की जरू़रत नहीं पड़ेगी।’

कुलदीप की मम्मी उसकी तरफ़ देखकर बोली, ‘अगर तू राजा न बना तो!’

रीतिका

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