Friday 5 February 2016

अपनी खाटें, अपने चबूतरे

वे सभी लोग अपनी खाटें बिछा कर अपने चबूतरे पर बैठे थे तभी भोला आ गई और गली के बच्चे भोला के पीछे भागने लगे। भोला आ-आ। भोला बार-बार बच्चों को मारने के लिए भागती है तभी रामवती अम्मा बोली, ‘अरे ये बालको काहे पीछे पड़े हो जाके तंग न करो नाही तो तुमको तो मारीय! तभी भोला अम्मा के पास आके बैठी और कहा, ‘अरी अम्मा तुम ही तो एक जो मारी साइड लो सै।ऐसी बातें सुन पूरी गली हंसी में झूम उठी।

रामवती अम्मा के सामने वाले घर में एक अम्मा बैठी थी। वो उठी और रामवती अम्मा के कंधे पर हाथ रखती हुई बोली, ‘हाए अम्मा मर गई, अब कैसे होगी।तभी कला की दादी बोली, ‘अरे अब सारी जि़ंदगी तो काट डाली अब ई भी कट हि जाएगी।भोला कला की दादी की बातें सुन ताली मारकर हंसने लगी। भोला का चेहरा देख कला भी हंसते-हंसते कूदने लगा। कला भोला के पास गया और बोला, ‘अरी भोला थोड़ा डांस करके दिखा दे।भोला बोली, ‘अरे मरझासू थारी मां ने तने ई लक्क्षण सिखाये अपनी मां नु बोल कि मारेको अच्छी बातें सिखावे।तभी रामवती अम्मा बोली, ‘अरे भोला काहे लगती है तु इस बच्चे के मुंह अब जाने दे।गुस्से से लाल चेहरा लिए उसकी दादी उठी और कला को खचेड़ के कमरे में ले जाकर छोड़ दिया। अम्मा बोली, ‘अरी कला की दादी तुम घड़ी जल्दी गुस्सा हो जाती हो, थोड़ा गुस्सा कम किया करो, हरदम नाक पर गुस्सा धरा शोभा नहीं देता तो तुमरी नाक भी तुमही से गुस्सा हो जाएगी फिर थै को मनाना पड़ेगा।

रामवती अम्मा बोली, ‘अरे तू अपनी बातें अब इतनी भी मत सुना बाको कि तोई पर टूट पड़े।पूरी गली के लोगों की नज़रें उनको ताके जा रही थी। भोला उठी और अम्मा का हाथ पकड़ते हुए बोली, ‘अच्छा अम्मा अब मैं जा रही हूं और एको बात कहे देती हूं मारी बजा से आपको लड़ने की जरूरत न सै।भोला वहां से चलने लगी फिर वो ही बच्चे भोला के पीछे पड़ कर उसको तंग करने लगे। भोला ने पत्थर उठाया और बोली, ‘मैं मार दूंगी आगे आने की कोई ज़रूरत न सै।भोला ये कहकर धमकाने लगी जब बच्चे भागने लगे तभी भोला ने पत्थर झट से नीचे फेंका और फटाक से ग़ायब हो गई। जब बच्चों ने वापिस मुड़कर देखा तो भोला भाग चुकी थी। भोला को अजीब तरह से भागते देख हंसने लगे फिर वहां से लड़के भी भाग गए थे। सभी लड़के रामवती अम्मा के घर के सामने खड़े हो गए। अपनी खाट पर बैठते हुए बोली, ‘अरे नास्पीटो अब यहां खड़े हो गए। भोला को परेशान कर जी नाही भरा तुम्हारा।लड़के रामवती अम्मा की ये बात सुनकर हंसने लगे और धीरे-धीरे वहां से खिसक लिए। तभी मुन्ना भाई बोला, ‘अरे ताई क्यों डांटती हो विचारे कहा जाएंगे!रामवती अम्मा मुन्ना भाई की बात काट कर बोली, ‘अरे ये समय कितनी जल्दी बीत गयो पता ही कोनी चला। अरे ये मुन्ना जा लाईट जला दे सारी गली में अंधेरा ना रहेगा।मुन्ना भाई ने गुस्से में लाईट तो जला दी पर बड़बड़ाने लगे कि अपने घर की लाईट नहीं जलाती की कही बिल ना आ जाए। तभी रामवती अम्मा बोली, ‘ये मुन्ना का बड़बड़ा रहा है?’ मुन्ना भाई बोला, ‘कहां मैं कछु तो नाही बड़बड़ा रहा हूं!ये कह मुन्ना भाई भी अपने घर निकल गए। उस लाइट की रोशनी ने अपने पंख पूरी गली में पसार दिए थे अचानक लाईट चली गई।

मुन्ना भाई बोला, ‘लाईट जलाने का कोई फायदा नहीं हुआ पूरी गली फिर शांत हो गई।गली में मानो कालिक सी छा गई हो। किसी को कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा था। सभी लोग अपने अपने घर में घुस गए। कोई कहता कि मरी ये लाईट इसको भी अभी जाना था। थोड़ी देर बाद न जा सके। तो कोई कहता मैं तो सोने जा रहा हूं। रामवती अम्मा बड़बड़ाते हुए अपनी खाट पर बैठ गई। गली में सन्नाटा छा गया। कोई गली के बाहर से काले वस्त्र धारण किए मुंह पे भूत का मुकुट लगाए चुपचाप रामवती अम्मा की तरफ़ बड़ रहा था। वो शख़्स रामवती अम्मा की खाट पर बैठ गया। रामवती अम्मा को कुछ नहीं पता था। वो नींद में थी। वो अम्मा के पैरों में गुदगुदी करने लगा। अम्मा की चोटी गुथी हुई थी पर उसने जुड़ा बना दिया तभी रामवती अम्मा की आंख तभी खुल गई। अम्मा उस शख़्स को अपनी खाट पर बैठा देख ज़ोर से चिल्लाई। पूरी गली में अम्मा की आवाज़ गूंज उठी। पूरी गली के लोग बाहर आ गए। रामवती अम्मा की दोस्त बोली, ‘अरे का हुआ रात में भी तने चैन न सै, इतने खन भी कोई भूत देख लिया का!ये सुन वहां खड़े लोग हंसने लगे। रामवती अम्मा बोली, ‘तुम हंसने के लिए खड़े हो, यहां मैं डर के मारे मरी जा रही हूं। जाओ यहां से नालायक कहीं के!इतना सुन सब अपने घर की ओर निकल गए तभी उनकी बहु आई और कहने लगी, ‘क्या हुआ काहे इतना शोर मचा रखा है?’ रामवती अम्मा ने सभी बातें अपनी बहू को बताई। उनकी बहू बोली, ‘आपको आराम की जरूरत है। आप बौखला चुकी हो!आसपास के लोग भी उन दोनों की बातें सुन रह थे। बौखला शब्द सुन सभी लोग हंसने लगे। रामवती अम्मा बोली, ‘अरे मर जाओ जाके, हंसी छूट रही है। अपने घरों में चले जाओ। अगर उठ गई तो छोडूंगी नहीं!वो लोग हंस कर अपने घर चल दिए। जब अम्मा की बहू अंदर चली गई तब वो शख्स फिर से रामवती अम्मा को तंग करने के लिए आ गया। अजीब-अजीब सी आवाज़ें निकाल कर उनको डरा रहा था। रामवती अम्मा जाग रही थी। उन्होंने सोचा अब देखूंगी कौन है वो! अम्मा हिम्मत करके उठी और उसके मुखौटे को ही पकड़ा। अम्मा ने मन में कहा आज तो मुझे देखना है कि इस मुखौटे का राज क्या है! उन्होंने कस कर मुखौटा पकड़ रखा था, तभी मुखौटा निकल गया। अम्मा चिल्लाने लगी फिर से सभी परेशान होकर उनके पास आए। कला की दादी बोली, ‘अरे ये का नौटंकी लगा रखी से, खुद तो सोती न है, हमें भी सोने न देती है। अम्मा बोली - थे अपनी बातें चुप करो, मारी बात सुनो। अगर तुम्हारे पास एक इंसान भूत का मुखौटा लगाकर चुपचाप बैठ जाए तो तुम्हें डर नहीं लगता पर फिर भी मैंने हिम्मत की और उसका मुखौटा हटाया पर मैं उसका चेहरा नहीं देख सकी, मैं चिल्लाने लगी और तुम टपक गए।सभी अम्मा की बात सुनकर हंसने लगी। अम्मा बोली – इस बात का पता लगाकर रहूंगी।


... प्राची

No comments:

Post a Comment